Editor: Abhishek Sharma, Director, Abhishek Educational Services
भूमिका:
भारत और पाकिस्तान के संबंध 1947 के विभाजन से ही विवाद, संघर्ष और सैन्य टकराव से भरे रहे हैं। सीमा पार आतंकवाद, कश्मीर मुद्दा, और तीन युद्धों के साथ यह संबंध लगातार तल्ख बने हुए हैं। हाल ही में चर्चा में आया “ऑपरेशन सिंदूर”, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का नया उदाहरण है, जिसने एक बार फिर भारत-पाक संबंधों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर किया है।
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ़ सामरिक सफलता की कहानी नहीं है। यह भारत की रक्षा स्वदेशीकरण नीतियों की पुष्टि है। वायु रक्षा प्रणालियों से लेकर ड्रोन तक, काउंटर-यूएएस क्षमताओं से लेकर नेट-केंद्रित युद्ध प्लेटफार्मों तक, स्वदेशी तकनीक ने तब काम किया है जब इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी। निजी क्षेत्र के नवाचार, सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यान्वयन और सैन्य दृष्टि के संयोजन ने भारत को न केवल अपने लोगों और क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम बनाया है, बल्कि 21वीं सदी में एक हाई-टेक सैन्य शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को भी पुख्ता किया है। भविष्य के संघर्षों में, युद्ध के मैदान को तेज़ी से तकनीक द्वारा आकार दिया जाएगा। और जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर में दिखाया गया है, भारत अपने स्वयं के नवाचारों से लैस, एक दृढ़ निश्चयी राज्य द्वारा समर्थित और अपने लोगों की सरलता से संचालित होने के लिए तैयार है।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
• ऑपरेशन सिंदूर, 2025 में सामने आया एक गुप्त सुरक्षा अभियान है, जिसे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले क्षेत्र (PoK) में सीमा पार घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों को रोकने हेतु अंजाम दिया।
ऑपरेशन सिंदूर असममित युद्ध के उभरते पैटर्न के लिए एक संतुलित सैन्य प्रतिक्रिया के रूप में उभरा, जिसमें सैन्य कर्मियों के साथ-साथ निहत्थे नागरिकों को भी निशाना बनाया जाता है। अप्रैल 2025 में पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकवादी हमला इस बदलाव की गंभीर याद दिलाता है। भारत की प्रतिक्रिया जानबूझकर, सटीक और रणनीतिक थी। नियंत्रण रेखा या अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार किए बिना, भारतीय सेना ने आतंकवादी ढांचे पर हमला किया और कई खतरों को खत्म कर दिया। हालांकि, सामरिक प्रतिभा से परे, जो बात सबसे अलग थी, वह थी राष्ट्रीय रक्षा में स्वदेशी हाई-टेक प्रणालियों का निर्बाध एकीकरण। चाहे ड्रोन युद्ध हो, स्तरित वायु रक्षा हो या इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, ऑपरेशन सिंदूर सैन्य अभियानों में तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में एक मील का पत्थर है।
वायु रक्षा क्षमताएं: सुरक्षा की पहली पंक्ति के रूप में तकनीक
07-08 मई 2025 की रात को पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल करके अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज सहित उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की। इन्हें एकीकृत काउंटर यूएएस (मानव रहित हवाई प्रणाली) ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों द्वारा निष्प्रभावी कर दिया गया।
वायु रक्षा प्रणालियाँ रडार, नियंत्रण केन्द्रों, तोपखाने तथा विमान- और भूमि-आधारित मिसाइलों के नेटवर्क का उपयोग करके खतरों का पता लगाती हैं, उन पर नज़र रखती हैं और उन्हें बेअसर करती हैं।
8 मई की सुबह, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में कई स्थानों पर वायु रक्षा रडार और प्रणालियों को निशाना बनाया। लाहौर में एक वायु रक्षा प्रणाली को निष्प्रभावी कर दिया गया। [pib]
• यह ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019) की कड़ी में एक नया कदम माना जा रहा है।
• रिपोर्टों के अनुसार, यह अभियान तेज़, सटीक और लक्षित था, जिसमें आतंकवादी लॉंच पैड और हथियार भंडार को ध्वस्त किया गया।
भारत-पाक टकराव की पृष्ठभूमि:
1️⃣ 1947 के बाद से संघर्ष:
• 1947, 1965 और 1971 के युद्ध, और 1999 का कारगिल युद्ध — ये सभी भारत-पाक संबंधों के संघर्षमय इतिहास की झलक हैं।
• पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद, विशेषकर कश्मीर घाटी में, भारत की संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा के लिए मुख्य चुनौती बना हुआ है।
2️⃣ आतंकवाद:
• 26/11 मुंबई हमला, पठानकोट, उरी, पुलवामा जैसे हमले स्पष्ट करते हैं कि पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों को भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए सक्रिय समर्थन मिलता है।
• FATF की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान की उपस्थिति इसका प्रमाण है।
ऑपरेशन सिंदूर का महत्व:
✅ रणनीतिक संदेश: भारत अब आतंकवाद के खिलाफ “रक्षात्मक” नहीं, बल्कि “आक्रामक-संयमित नीति” अपना रहा है।
✅ सेना की कार्यशैली: यह दर्शाता है कि भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियां पाकिस्तान के अंदर भी ऑपरेशन करने की संगठनिक क्षमता और राजनीतिक इच्छाशक्ति रखती हैं।
✅ कूटनीतिक संकेत: ऑपरेशन सिंदूर से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह स्पष्ट संदेश गया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और सीमाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीर और सक्षम है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:
• पाकिस्तान ने ऑपरेशन से इनकार किया और इसे भारतीय “प्रोपेगैंडा” बताया।
• अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दा उठाकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश की, लेकिन कई देश अब आतंकवाद पर भारत के दृष्टिकोण के प्रति अधिक संवेदनशील हो रहे हैं।
भारत की नीति: शांति और प्रतिरोध में संतुलन
• भारत बार-बार कह चुका है कि वह शांति चाहता है, लेकिन आतंक के साथ कोई वार्ता नहीं।
• शिमला समझौता (1972), लाहौर घोषणा (1999) और अगस्त 2003 की संघर्षविराम संधि जैसे प्रयास हुए हैं, परंतु पाकिस्तान का दोहरा चरित्र—एक ओर बातचीत की बात, दूसरी ओर आतंकी गतिविधियों का समर्थन—बातचीत को निष्फल करता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और भारत की छवि:
• भारत के कड़े रुख को अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और इजराइल जैसे देशों का समर्थन मिला है।
• संयुक्त राष्ट्र में भारत का रुख अब ज्यादा दृढ़, वैध और नैतिक माना जा रहा है, खासकर आतंकवाद के खिलाफ।
• ऑपरेशन सिंदूर जैसे कदम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में बदलाव का संकेत हैं — जिसमें दमन के बजाय निरोधात्मक और निर्णायक कार्रवाई का स्थान बढ़ा है।
आगे की राह:
- संवाद या सैन्य संतुलन?
- भारत को पाकिस्तान के साथ शांति के दरवाज़े खुले रखने चाहिए, लेकिन बिना किसी समझौते के आतंकवाद पर।
- राजनयिक मोर्चे पर सक्रियता:
- भारत को वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की आतंक-प्रायोजित नीति को उजागर करते रहना होगा।
- आंतरिक सुरक्षा बलों का सशक्तिकरण:
- बॉर्डर पर स्मार्ट फेंसिंग, ड्रोन निगरानी, और गुप्तचर नेटवर्क को मजबूत करना होगा।
निष्कर्ष:
भारत-पाक संबंधों में जब तक आतंकवाद की छाया मौजूद है, तब तक स्थायी शांति की कल्पना करना कठिन है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे कदम केवल भारत की सुरक्षा-संप्रभुता की रक्षा नहीं करते, बल्कि यह संकेत देते हैं कि भारत अब नीति, शक्ति और संयम — तीनों के संगम से अपनी विदेश और रक्षा नीति को चला रहा है। आने वाले समय में यह देखने लायक होगा कि क्या पाकिस्तान अपनी रणनीति में बदलाव लाता है या टकराव की इस रेखा को और गहरा करता है।